fbpx
October 5, 2024
जानिये भारत के टॉप 10 सिविल सर्वेंट्स के बारे में

Indian civil services

2 0
2 0
Read Time:33 Minute, 11 Second

जब भी हम ‘ प्रशासनिक अधिकारी ‘ सुनते हैं तो हमारे मन में भारत सरकार का एक बड़ा अधिकारी हमारे जहन में आता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे भारत के वे 10 सिविल सर्वेंट्स जिन्होंने अपने काम और देश सेवा के जज्बे के साथ अपनी एक अलग पहचान बनाई. जानिये भारत के टॉप 10 सिविल सर्वेंट्स के बारे में और क्या है देशहित में उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य

DATA 13
india’s top 10 civil servants
IMG 20220727 125201

क्या आपको पता है जब हमारा देश आजाद हो रहा था तो कुछ विदेशी एक्सपर्ट्स ने भारत के लिए कहा था कि भारत लंबे समय तक अपनी अखंडता, संप्रभुता और लोकतंत्र को कायम नहीं रख पाएगा और भारत एक देश के तौर पर फेल होता हुआ नजर आएगा लेकिन आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी ना सिर्फ भारत अपनी संप्रभुता को कायम रख सका है बल्कि एक ग्लोबल पावर बनने की ओर बढ़ रहा है.

इस मुकाम तक भारत को पहुंचाने में वैसे तो बहुत सारे नेताओं और आम नागरिकों का भी हाथ है लेकिन इसमें मुख्य सहायता ‘ स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया ‘ के नाम से जाने जानी वाली सिविल सर्विसेज ने निभाई है. अब आगे बढ़ते हैं और उन कुछ सिविल सर्वेंट के बारे में जानते हैं जिन्होंने देश के गवर्नेंस और डेवलपमेंट में एक अनूठी छाप छोड़ दी.

Table of Contents

Mr. अजीत कुमार डोभाल

DATA 3
Ajit doval

मिस्टर अजीत कुमार डोभाल को आज भारत में सबसे बहादुर सिविल सेवक के रूप में जाना जाता है.

इनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में, जो उस वक्त उत्तर प्रदेश में शामिल था वहां इनका जन्म एक आर्मी ऑफिसर के घर में हुआ.

अजीत कुमार ने पाकिस्तान में लगभग 7 साल एक खुफिया एजेंट के तौर पर बिताकर खुफिया जानकारी हासिल की थी.

इन्होंने अपनी कार्यक्षमता का सबूत 1971 से लेकर 1999 के बीच हुई भारतीय एयरलाइंस की लगभग 15 हाईजैकिंग में भी दिखाया. इसके साथ ही 1999 में कंधार में IC-814 की हाईजैकिंग में वे आतंकवादियों के साथ भारत सरकार की तरफ से बात करने वाले तीन मुख्य अधिकारियों में से एक थे.

देश की सुरक्षा में उनकी बड़ी योगदान के चलते उन्हें भारत सरकार ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. सन 2005 में अपने रिटायरमेंट के बाद भी वे देश की सुरक्षा में एक्टिव रहे. सन 2014 में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने इराक में फंसी 46 भारतीय नर्स को सुरक्षा पूर्वक भारत वापस लाने में भूमिका निभाई. म्यानमार में नागा मिलिटेंट्स के खिलाफ ऑपरेशंस, सन 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और फिर 2019 में बालाकोट स्ट्राइक यह सभी ऑपरेशंस अजीत डोभाल के नेतृत्व में ही पूरे किए गए.

इन सभी ऑपरेशंस को पूरा करने के बाद भी आज के दिन तक भी श्रीमान अजीत कुमार डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

मिस्टर अशोक खेमका

DATA 4
ashok khemka

मिस्टर अशोक खेमका को अपनी ईमानदारी और कार्यशैली के लिए काफी जाना जाता है.

इनका जन्म कोलकाता में हुआ यह 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. जिन्होंने सिविल सेवक के रूप में अपने करियर की शुरुआत से पहले आईआईटी खड़गपुर से बीटेक की डिग्री हासिल की इसके बाद उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च से पीएचडी हासिल की.

सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद मिस्टर खेमका हरियाणा कैडर में सेलेक्ट हुए. अपने करियर के दौरान मिस्टर अशोक खेमका ने कई ऐसे फैसले लिए जिसने सत्ता और विपक्ष समेत पूरे देश की जनता को उनकी ओर आकर्षित किया.

इसमें उनका सबसे बड़ा एक्शन वह माना जाता है जब उन्होंने कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की एक गैर कानूनी डील को कैंसिल कर दिया था. हैरानी की बात यह है कि उन्होंने यह कदम तब उठाया था जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. इसके अलावा उन्होंने सोनीपत खरखौड़ा आईएमटी लैंड स्कैम केस , गढ़ी सांपला गगन लैंड स्कैम केस में इन्हें उजागर करने में मुख्य भूमिका निभाई.

शायद इसी की वजह से उन्हें अपने करियर की 29 साल की सर्विस में 54 बार ट्रांसफर और बहुत सारी एफ आई आर देखनी पड़ी. कुछ समय पूर्व ही जब उन्होंने आर्कियोलॉजी और म्यूजियम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के तौर पर पहाड़ी इलाकों में उत्पादन को लेकर अपने विचार उठाने शुरू किए तो हरियाणा सरकार ने उन्हें दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया.

इससे यह देखने मिलता है कि चाहे सकता अथवा विपक्ष में किसी भी पार्टी की सरकार हो अशोक खेमका जैसे अफसर अपनी मेहनत और ईमानदारी से यह साबित करते हैं कि वे आज भी किसी पॉलिटिकल दबाव में आए बिना पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाने में सक्षम है.

अशोक खेमका की इन्हीं प्रयासों के कारण उन्हें सन 2011 में एस आर जिंदल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

श्रीमती किरण बेदी

DATA 5
kiran bedi

श्रीमती किरण बेदी देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत की तरह है.

इन्होंने 1970 में पंजाब यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस की डिग्री हासिल की और फिर आईआईटी दिल्ली से अपनी पीएचडी पूरी की. किरण बेदी ने अपने करियर की शुरुआत 1972 में आईपीएस ऑफिसर के तौर पर की.

किरण बेदी देश की पहली महिला थी जिन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस की नौकरी ज्वाइन की थी. उनके इस कदम से देश की न जाने कितनी बेटियां इस तरह की सर्विस में जाने के लिए प्रेरित होती नजर आई.

दिल्ली के चाणक्यपुरी सब डिवीजन में पहली पोस्टिंग हासिल करने के बाद किरण बेदी देश की पहली महिला बनी जिन्होंने 1975 में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली पुलिस के पुरुष सेना बल को लीड किया. 1993 से लेकर 1995 तक तिहाड़ जेल की आईजी रही किरण बेदी ने जेल के मैनेजमेंट में कोई सुधार किए जिनमें डिटॉक्सिफिकेशन प्रोग्राम, आर्ट ऑफ लिविंग कोर्सेज, योगा और लिटरेसी प्रोग्राम शामिल है.

उनके इन्हीं प्रयासों के कारण उन्हें 1994 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया.

अपने इन कार्यों के अलावा उन्होंने मिजोरम में डिप्टी इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस, डायरेक्टर जनरल ऑफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और सिविलियन पुलिस एडवाइजर इन द यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग ऑपरेशंस के तौर पर भी कार्य किया.

संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें अपने संयुक्त राष्ट्र मेडल से भी सम्मानित किया है. सन 2007 में आईपीएस से स्वैच्छिक निवृत्ति लेकर किरण बेदी ने सामाजिक बाधाओं के लिए कार्य करना शुरू किया.

उनके प्रयासों के कारण यूनाइटेड नेशंस द्वारा उनके एनजीओ को Sotiroff Memorial Award से नवाजा गया. इन सभी दायित्वों के अलावा किरण बेदी पुडुचेरी की राज्यपाल भी रही.

मिस्टर विनोद राय

DATA 6
vinod rai ias

केरला कैडर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले 1972 बैच के आईएएस अधिकारी ने सर्वप्रथम केरल के थ्रिशूर जिले में सब कलेक्टर के तौर पर अपनी नौकरी शुरू की.

दिल्ली यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स डिग्री के अलावा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री इन्होंने प्राप्त की. इन्होंने 8 साल तक केरल में ही कार्य किया. जहां उन्हें second Sakthan Tampuran के नाम से जाना जाता था.

फोर्ब्स के मुताबिक श्रीमान विनोद राय उन सिविल सेवक में से एक रहे हैं जो भारत सरकार की कंपलेक्स मशीनरी में भी काम पूरा करवाना जानते हैं. इनका सबसे मुख्य पद भारत के 11वें Comptroller और ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया के तौर पर रहा.

इस समय के दौरान विनोद राय ने कई भ्रष्टाचार और स्कैम्स का खुलासा किया. इन्होंने कोलगेट स्कैम, 2G स्पेक्ट्रम एलोकेशन स्कैम, दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम और पदमनाभास्वामी मंदिर स्कैम जैसे कई महत्वपूर्ण खुलासे करने मे सीएजी को लीड करते हुए इस ऑफिस को एक पावरफुल फाॅर्स की तरह उभारा.

विनोद राय के अंडर सीएजी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम एलोकेशन की पब्लिक रिपोर्ट के बाद ही यूपीए के कई मिनिस्टर्स को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा. इसके साथ ही विनोद राय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और पंचायती राज इंस्टीट्यूशंस को सीएजी के अंडर लाने के कई प्रयास किए

श्रीमान एस आर संकरन

DATA 7
s r sankaran

इन्होंने अपनी सर्विस में अपना पूरा जीवन गरीब और बेसहारा लोगों के लिए समर्पित किया

1956 बैच के आईएएस अधिकारी ,ऐसे तो उन्होंने हमेशा ही आम नागरिकों और गरीबों की सहायता की लेकिन वे चर्चा में आए जब उन्होंने सेक्रेटरी के तौर पर बंधुआ मजदूरी को खत्म करने के प्रयास किए.

ऐसे तो बंधुआ मजदूरी श्रीमती इंदिरा गांधी के 20 पॉइंट प्रोग्राम के दौरान ही खत्म सा होना शुरू हो गया था. लेकिन बंधुआ मजदूरी सिस्टम एक्ट 1976 के पास होने के बाद भी देश के कई हिस्सों में यह सीरियसली लागू नहीं किया जा रहा था. इसका प्रमुख कारण था कि या तो वह मिनिस्टर खुद बंधुआ मजदूरी करवाते थे अथवा बंधुआ मजदूरी करवाने वालों के करीबी थे.

इस एक्ट को लागू करवाने की अपनी कोशिशों के कारण कई बार एस आर संकरन कई मुख्यमंत्री से विवाद करते नजर आए. इसके साथ ही यह एससी और एसटी के लिए डिवाइज्ड इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट स्कीम और स्पेशल कंपोनेंट प्लान का हिस्सा बने रहे.

इन्होंने नक्सलियों और राज्य सरकारों के बीच संबंध स्थापित करने के कई प्रयास किए. इन्होंने अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा हमेशा दलित और आदिवासी समाज के लिए दान किया.

1982 के बाद अपने रिटायरमेंट के बाद भी वे गरीबों के हक के लिए लड़ते नजर आए और अपनी पेंशन को उन्होंने एससी और एसटी के विद्यार्थियों के साथ बांटा.

अपनी निजी जिंदगी में भी साधारणता का उदाहरण देते हुए इन्होंने 2005 में सरकार द्वारा अवार्ड किए जाने वाले पद्मभूषण को भी लेने से मना कर दिया था, उनका मानना था कि उन्होंने केवल अपना कर्तव्य और अपनी ड्यूटी को निभाया है इसके लिए किसी भी प्रकार का पुरस्कार इन्हें नहीं मिलना चाहिए.

श्रीमान अमिताभ कांत

DATA 8
amitabh kant

इनका जन्म सन 1956 में हुआ और इन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स में डिग्री हासिल की. इसके बाद इन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में m.a. की पढ़ाई की.

1980 बेच के केरला कैडर के अधिकारी अमिताभ कांत आज भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर जाना जाता है.

उनके हार्ड वर्क और डेडीकेशन को हम इस बात से समझ सकते हैं कि इंडिया टुडे ने अपनी 45 वी सालगिरह पर पब्लिश की आर्टिकल में भारत के 45 सबसे अधिक पॉपुलर सेलिब्रिटी में से एक बताया था.

आज के दिन में अमिताभ कांत भारत सरकार के थिंकटैंक कहे जाने वाले नीति आयोग के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर है. इसके साथ ही अमिताभ कांत चेयरमैन ऑफ द एंपावर्ड कमिटी ऑन द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्टिक प्रोग्राम ऑफ द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया भी रहे हैं जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन 2018 में लांच किया था.

इसके अलावा आज अमिताभ कांत एनएचएआई में डायरेक्टर ऑन द बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर ऑफ इंडिया और चेयरमैन ऑफ द एग्जीक्यूटिव काउंसिल ऑफ द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट भी हैं.

इन्होंने मछली पालन उद्योग में के फाइबर ग्लास टेक्नोलॉजी को लाकर पारंपरिक मछली उद्योग के मुकाबले एक मछली पालक की आय को बढ़ाने के उपाय किए.

इसके साथ ही अमिताभ कांत वैश्विक स्तर पर फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन नेटवर्क की एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य भी है. इन सभी बातों से यह समझा जा सकता है कि श्रीमान अमिताभ कांत ने अपनी काबिलियत के दम पर ना सिर्फ देश में बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है.

श्रीमान तिरुनल्लाई नारायण अय्यर सेशन

DATA 9
t n seshan

1932 में केरल में जन्मे अय्यर उन चुनिंदा सिविल सेवकों में से एक रहे हैं जिन्होंने सरकारी ऑफिस की पावर से देश में एक क्रांति लाने का कार्य किया.

1953 में आईपीएस के तौर पर क्वालीफाई करने के बाद उन्होंने 1955 में दोबारा एग्जाम देते हुए आईएएस की टॉप रैंक में से एक प्राप्त की. तमिलनाडु में असिस्टेंट कलेक्टर ऑफ कोयंबटूर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करते हुए अय्यर वहां के लोकल नेताओं के साथ विवाद करते नजर आए.

उनके इन विवादों ने उनके लिए एक बात साफ कर दी थी कि यह अधिकारी किसी भी बाहरी या आंतरिक दबाव में आकर कार्य नहीं करेगा.

सन 1968 में Ed mason fellowship मिलने के बाद इन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की. 1989 में कैबिनेट सेक्रेटरी बनने के बाद 1990 में इन्हें चीफ इलेक्शन कमिश्नर बनाया गया.

अपने इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत में चुनाव के दौरान होने वाले कई गलत कार्यों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इलेक्शन में एलिजिबल लोगों को मतदान पत्र प्रदान करना, इलेक्शन के दौरान पार्टी द्वारा खर्च किए जाने वाली रकम पर नियंत्रण, मतदान के लिए वोटर को पैसे और शराब देने पर नियंत्रण और कई अन्य प्रकार के परिवर्तन किए. उन्होंने भारत में होने वाले मतदान को एक नई दिशा दिखाई.

जहां इनके कार्यशैली के ऊपर कई नेताओं ने नाराजगी जाहिर की वहीं आम नागरिकों ने इनकी खुलकर सराहना की. पिंकी इन्हीं कार्यों के लिए इन्हें 1996 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया.

भारत में चीफ इलेक्शन कमिशन के ऑफिस को विजिबिलिटी प्रदान करने का श्रेय अय्यर को ही जाता है. इन्होंने चुनावों में पारदर्शिता और कई अन्य प्रकार के उपाय करके भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

श्रीमान त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी

DATA 10
t n chaturvedi

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से M.A. एलएलबी की उपाधि हासिल करने के बाद मिस्टर चतुर्वेदी ने 1950 में राजस्थान कैडर में आईएएस ज्वाइन किया.

अपने दो दशक से ज्यादा के करियर में उन्होंने कई सरकारी पोजीशन प्राप्त की इसमें यूनियन होम सेक्रेट्री तक का पद शामिल है. कहा जाता है कि वैसे तो इन्होंने अपने करियर में कई कीर्तिमान रचे लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वह है जो इन्होंने सीएजी के तौर पर रहते हुए काम किया.

1989 में सीएजी के तौर पर त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने एक रिपोर्ट पब्लिक की उसमें उस वक्त के राजीव गांधी सरकार अंडर howitzer guns की खरीदारी में अनियमितताओं का पर्दाफाश किया. रिपोर्ट में अनियमितताओं के साथ खुले तौर पर स्वीडन के हथियार निर्माता Bofors का नाम लिया गया.

संसद में लिस्ट होने से पहले इस रिपोर्ट का मीडिया में पब्लिक हो जाना एक्सपर्ट द्वारा एक प्रमुख कारण बताया जाता है जिसने आगे जाकर राजीव गांधी की सरकार को सत्ता से हटाने का काम किया.

अपने निष्पक्ष और कर्मठ योगदान के कारण 1991 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. आगे जाकर सन 2002 में यह कर्नाटक के गवर्नर बनाए गए.

श्री अर्मस्ट्रांग पामे

DATA 11
armstrong pame

मणिपुर में मिरेकल मैन के नाम से फेमस,पामे ने अपने छोटे कार्यकाल के दौरान ही अपनी काबिलियत के कई सबूत दिए हैं.

मणिपुर की ही Zeliangrong Community से ताल्लुक रखने वाले ये Tousem के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट थे जब उन्होंने पक्की सड़कों के अभाव में वहां के लोगों की परेशानी समझी.

इस परेशानी का असली पता तब चला जब सन 2012 में मणिपुर के कई हिस्सों में टाइफाइड और मलेरिया का अत्यधिक संक्रमण देखने को मिला और पक्की सड़कों के अभाव में कई गांव के लोग हॉस्पिटल तक भी नहीं पहुंच सके.

जब सरकार ने पैसों की कमी बताकर रोड के लिए फंड्स देने से इनकार कर दिया तब इन्होंने पब्लिक फंड इकट्ठा करके 100 किलोमीटर की पक्की सड़क बनाने में सफलता हासिल की जो मणिपुर को नागालैंड और असम से जोड़ते हुए नजर आई. उनके इस कंट्रीब्यूशन के कारण उन्हें मिरेकल मैन के नाम से जाना जाने लगा. इसके अलावा उनके और कई प्रयासों को आम जनता द्वारा सराहा गया

जैसे वे हर हफ्ते कक्षा 5 से 10 के 10 बच्चों को अपने साथ भोजन के लिए निमंत्रित करते हैं ताकि वे बच्चे आईएएस अधिकारियों की जिंदगी से रूबरू हो सकें और आने वाले समय में देश की तरक्की में योगदान दे सकें.

इसी कारण से सन 2012 में इन्हें पब्लिक सर्विस कैटेगरी में CNN-IBN इंडियन ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही सन 2015 में उन्हें इंडिया के मोस्ट एमिनेंट आईएएस ऑफिसर के अवार्ड से भी नवाजा गया.

श्रीमती संजुक्ता पाराशर

DATA 12
sanjukta parashar

इन्हें असम की आयरन लेडी भी कहा जाता है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पब्लिक रिलेशंस में मास्टर्स करने के बाद इन्होंने सिविल सेवाओं का रास्ता चुना.

सन 2006 में असम मेघालय कैडर में आईपीएस अधिकारी के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्होंने स्वयं को देश के प्रति समर्पित कर दिया. कहा जाता है कि अपने करियर की शुरुआत में ही इन्हें Bodo ट्राइबस और गैरकानूनी बांग्लादेशी आतंकवादियों के बीच की लड़ाई को रोकने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया.

सन 2008 में महिला कमांडेंट बनने के बाद ये कई एनकाउंटर में शामिल रही. जहां उन्होंने 16 आतंकवादियों को मार गिराया और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सारे आतंकवादियों को पकड़ा और बहुत सारे हथियार बरामद किए. कहा जाता है कि Bodo Militants के बीच यह सबसे खौफनाक पुलिस अफसर के रूप में जानी जाती है.

यह थे कुछ बेहद बहादुर, परिश्रमी और देश के लिए डेडीकेटेड सिविल सेवक. ये उन कुछ चुनिंदा सिविल सेवकों में से एक हैं जो आज भी ज्यादा लोगों की नजरों में आए बिना देश और आम जनता की निष्पक्ष सेवा कर रहे हैं, और ऐसे कौन से सिविल सेवक हैं जिनसे आप इंस्पायर्ड फील करते हैं कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें बताएं.

Subscribe INSIDE PRESS INDIA for more

Follow IPI on INSTAGRAM 

FOLLOW IPI ON MEDIUM.COM

FOLLOW IPI ON FACEBOOK

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER

Processing…
Success! You're on the list.
inside press india
inside press india logo

FAQ’S

अजीत डोभाल ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की

अजीत डोभाल ने अपने करियर की शुरुआत 1968 में केरला कैडर के एक आईपीएस अधिकारी के रूप में की. करियर की शुरुआत में व्यक्त पंजाब और मिजोरम में एक्टिव रहे. एक्सपर्ट्स के मुताबिक अजीत कुमार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान इंटेलिजेंस जुटाने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने आगे जाकर खालिस्तानी मिलिटेंसी को खत्म करने में सुरक्षा बलों की सहायता की.

अजीत डोभाल ने देश के लिए कौन से महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए हैं

अजीत कुमार ने पाकिस्तान में लगभग 7 साल एक खुफिया एजेंट के तौर पर बिताकर खुफिया जानकारी हासिल की ,इन्होंने अपनी कार्यक्षमता का सबूत1971 से लेकर 1999 के बीच हुई भारतीय एयरलाइंस की लगभग 15 हाईजैकिंग में भी दिखाया. इसके साथ ही 1999 में कंधार में IC-814 की हाईजैकिंग में वे आतंकवादियों के साथ भारत सरकार की तरफ से बात करने वाले तीन मुख्य अधिकारियों में से एक थे,सन 2014 में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने इराक में फंसी 46 भारतीय नर्स को सुरक्षा पूर्वक भारत वापस लाने में भूमिका निभाई. म्यानमार में नागा मिलिटेंट्स के खिलाफ ऑपरेशंस, सन 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और फिर 2019 में बालाकोट स्ट्राइक यह सभी ऑपरेशंस अजीत डोभाल के नेतृत्व में ही पूरे किए गए.

असम की आयरन लेडी किसे और क्यों कहा जाता है

असम की आयरन लेडी, संजुक्ता पाराशर को कहा जाता है क्योंकि सन 2008 में महिला कमांडेंट बनने के बाद ये कई एनकाउंटर में शामिल रही. जहां उन्होंने 16 आतंकवादियों को मार गिराया और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सारे आतंकवादियों को पकड़ा और बहुत सारे हथियार बरामद किए. कहा जाता है कि Bodo Militants के बीच यह सबसे खौफनाक पुलिस अफसर के रूप में जानी जाती है

मणिपुर के मिरेकल मैन के नाम से किसे और क्यों जाना जाता है

मणिपुर के मिरेकल मैन के नाम से आर्मस्ट्रांग पामे को जाना जाता है जो कि एक आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें मिरेकल मैन के नाम से जाना जाता है क्योंकि जब सरकार ने पैसों की कमी बताकर रोड के लिए फंड्स देने से इनकार कर दिया तब इन्होंने पब्लिक फंड इकट्ठा करके 100 किलोमीटर की पक्की सड़क बनाने में सफलता हासिल की जो मणिपुर को नागालैंड और असम से जोड़ते हुए नजर आई. उनके इस कंट्रीब्यूशन के कारण उन्हें मिरेकल मैन के नाम से जाना जाने लगा

त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने अपनी सर्विस के दौरान कौन सा सबसे महत्वपूर्ण खुलासा किया था

1989 में सीएजी के तौर पर त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने एक रिपोर्ट पब्लिक की उसमें उस वक्त के राजीव गांधी सरकार के अंडर Howitzer Guns की खरीदारी में अनियमितताओं का पर्दाफाश किया. रिपोर्ट में अनियमितताओं के साथ खुले तौर पर स्वीडन के हथियार निर्माता Bofors का नाम लिया गया.संसद में लिस्ट होने से पहले इस रिपोर्ट का मीडिया में पब्लिक हो जाना एक्सपर्ट द्वारा एक प्रमुख कारण बताया जाता है जिसने आगे जाकर राजीव गांधी की सरकार को सत्ता से हटाने का काम किया.

अमिताभ कांत वर्तमान में भारत सरकार के किन पदों पर कार्य कर रहे हैं

अमिताभ कांत भारत सरकार के थिंकटैंक कहे जाने वाले नीति आयोग के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर,एनएचएआई में डायरेक्टर ऑन द बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर ऑफ इंडिया और चेयरमैन ऑफ द एग्जीक्यूटिव काउंसिल ऑफ द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट है

आईएएस अधिकारी विनोद राय ने अपनी सर्विस के दौरान किन भ्रष्टाचार स्कैम्स का खुलासा किया

विनोद राय ने कई भ्रष्टाचार और स्कैम्स का खुलासा किया. इन्होंने कोलगेट स्कैम, 2G स्पेक्ट्रम एलोकेशन स्कैम, दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम और पदमनाभास्वामी मंदिर स्कैम जैसे कई महत्वपूर्ण खुलासे करने मे सीएजी को लीड करते हुए इस ऑफिस को एक पावरफुल फाॅर्स की तरह उभारा

किरण बेदी को कौन से पुरस्कार प्रदान किए गए हैं

किरण बेदी को 1994 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा संयुक्त राष्ट्र मेडल प्रदान किया गया है. यूनाइटेड नेशन द्वारा उनकी एनजीओ को Sotiroff Memorial Award प्रदान किया गया है

अशोक खेमका ने अपनी सर्विस के दौरान कौन से महत्वपूर्ण स्कैम्स का खुलासा किया

अशोक खेमका का सबसे बड़ा एक्शन वह माना जाता है जब उन्होंने कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की एक गैर कानूनी डील को कैंसिल कर दिया था. हैरानी की बात यह है कि उन्होंने यह कदम तब उठाया था जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. इसके अलावा उन्होंने सोनीपत खरखौड़ा आईएमटी लैंड स्कैम केस , गढ़ी सांपला गगन लैंड स्कैम केस में इन्हें उजागर करने में मुख्य भूमिका निभाई.

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *