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April 22, 2024
president election in india

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भारत में चुनाव आयोग ने देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हाल ही में तारीख का ऐलान कर दिया है. 18 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए मतदान होगा और 21 जुलाई को परिणाम घोषित होंगे.


राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून है.

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आइए आज इनसाइड प्रेस इंडिया के इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि आखिर कैसे चुना जाता है भारत का राष्ट्रपति और क्या है उसकी शक्तियां.

क्या होती है राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया?

भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टरल मंडल के द्वारा किया जाता है. इस इलेक्टरल मंडल के सदस्य होते हैं- राज्यसभा और विधानसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य.


ध्यान दें कि विधान परिषद के सदस्य इस मंडल के सदस्य नहीं होते और लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य भी इसके सदस्य नहीं होते हैं.
इन सभी के वोटों का जो मूल्य होता है वह अलग अलग होता है.


आपको बता दें कि भारत में राष्ट्रपति के लिए जितने भी सदस्य मतदान कर सकते हैं उनमें से प्रत्येक के वोट का एक निश्चित मूल्य होता है और विधानसभा के मामले में यह राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है. लोकसभा और राज्यसभा के मत का मूल्य एक होता है और विधानसभा के सदस्यों का अलग अलग होता है जो कि राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है.

क्या होता है जब राष्ट्रपति चुनाव में 2 उम्मीदवारों को बराबर वोट मिले?

ऐसी स्थिति में संविधान बनाने वाले ने संकल्पना नहीं की थी. इसलिए इसके बारे में जिक्र नहीं है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर 1952 का कानून है उसमें भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है. हालांकि अभी तक जितने भी राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं उनमें ऐसी कोई स्थिति नहीं आई है और आने की संभावना भी नहीं दिखाई देती.

राष्ट्रपति चुनाव के बाद क्या है राष्ट्रपति का राजनीतिक जीवन

भारतीय संविधान में प्रावधान के मुताबिक राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ा जा सकता है. ऐसे में राष्ट्रपति का राजनीतिक जीवन कभी समाप्त नहीं होता. संविधान में राष्ट्रपति के कार्यकाल समाप्त होने के बाद उसके राजनीतिक करियर पर किसी तरह की पाबंदियां नहीं है. लेकिन यह देश का सबसे बड़ा पद है इसलिए कोई भी व्यक्ति जो एक बार राष्ट्रपति बन जाता है वह सांसद या विधायक अथवा राज्यपाल बनना पसंद नहीं करेंगे क्योंकि यह सब राष्ट्रपति के नीचे के पद है.

भारत में क्या है राष्ट्रपति पद का महत्व

जैसा कि हम समझते हैं भारत में अधिकांश ताकतें प्रधानमंत्री के पास होती हैं. लेकिन यह पूरा सत्य नहीं है. सबके अपने अपने क्षेत्र हैं. पूरी कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति के हाथ में होती हैं. राष्ट्रपति इन का प्रत्यक्ष तौर पर स्वयं या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस्तेमाल कर सकते हैं.


इसके साथ राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है और संविधान को संरक्षित करता है. भारतीय संविधान की दृष्टि में राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च पद माना जाता है.


राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना कोई भी अधिनियम पारित नहीं हो सकता. वे सिर्फ मनी बिल को छोड़कर किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकते हैं.

राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की क्या है सीमाएं

राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए लड़ने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए. आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए. लोकसभा के सदस्य होने की पात्रता उसमें होनी चाहिए.
इलेक्टरल मंडल के 50 प्रस्तावक और 50 समर्थन करने वाले होने चाहिए.


राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य समिति कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है. राष्ट्रपति देश की तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर होता है.

राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है

भारत में राष्ट्रपति को अपने पद से हटाने के लिए महाभियोग चलाया जाता है.
इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को 14 दिन का नोटिस देना होता है. इस पर कम से कम दो -तिहाई सदस्य के दस्तखत जरूरी होते हैं.


फिर उस पर सदन विचार करता है. अगर दो तिहाई सदस्य उसे मान ले तो फिर वह दूसरे सदन में चला जाता है. अगर दूसरे सदन के दो तिहाई सदस्य भी उसे समर्थन से पास कर दें ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति को पद से हटा हुआ माना जाता है.

राष्ट्रपति पद के लिए 2 से ज्यादा भी उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं लेकिन उनके पास 50 प्रस्तावक और 50 समर्थन करने वाले होने चाहिए.जैसा कि हम कई जगह सुनते हैं कि राष्ट्रपति के पास किसी को मृत्युदंड से क्षमा करने का भी अधिकार होता है. ऐसी स्थिति में क्षमादान के अधिकार का उपयोग राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही करता है. लेकिन मंत्री परिषद ने राष्ट्रपति को क्या सलाह दी गई है अदालत में नहीं पूछा जा सकता.

नीलम संजीवा रेड्डी अकेले राष्ट्रपति हुए जो निर्विरोध चुने गए थे और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अकेले राष्ट्रपति थे जो दो बार चुने गए थे.

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बारे में जानकारी

रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की थी. श्री रामनाथ कोविंद उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता रहे हैं और देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद ग्रहण करने से पूर्व वह बिहार के राज्यपाल थे.

कोविंद को उच्चतम न्यायालय से लेकर संसद तक के विविध क्षेत्र में काम करने का अनुभव है.


श्री रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के परोँख गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और उच्चतर शिक्षा कानपुर से ही पूरी की. राष्ट्रपति कोविंद ने कानपुर विश्वविद्यालय से ही कानून की डिग्री हासिल की.


वह 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के अधिवक्ता रहे. 1978 में भारत के उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बने. 1980 से 1993 तक उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के स्थाई अधिवक्ता रहे.


रामनाथ कोविंद अप्रैल 1994 में उत्तर प्रदेश के संसद के उच्च सदन, राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए
6-6 वर्ष के लगातार दो कार्यकाल के लिए वे राज्यसभा के सदस्य रहे.


8 अगस्त 2015 को उन्होंने बिहार के राज्यपाल का पदभार संभाला.


इसके बाद भी भारत के 14वें राष्ट्रपति बने

भारत में अबतक कितने राष्ट्रपति रहे हैं

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पहले देश में 13 राष्ट्रपति रहे.

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884-1963)
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)
  • डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1897-1969)
  • वराहगिरी वेंकट गिरी (1894-1980)
  • डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (1905-1977)
  • निलम संजीव रेड्डी (1913-1996)
  • ज्ञानी जैल सिंह (1916-1994)
  • आर वेंकटरमन (1910-2009)
  • डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918-1999)
  • के आर नारायनन (1920 – 2005)
  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (1931-2015)
  • प्रतिभादेवी सिंह पाटिल (birth – 1934)
  • प्रणब मुखर्जी (1935-2020)

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