रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारतीय सेना में ‘अग्निपथ’ नाम की योजना की घोषणा की जिसके तहत कम समय के लिए नियुक्तियां होंगी.
योजना के मुताबिक़ भारतीय सेना में चार सालों के लिए युवाओं की भर्तियां होंगी. नौकरी के बाद उन्हें सेवा निधि पैकेज दिया जाएगा. उनका नाम होगा अग्निवीर.
पिछले कुछ सालों में सेना में भर्तियां रुकी हुई थीं जिसे लेकर सरकार से सवाल पूछे जा रहे थे. पूछने वालों में कई युवा थे जिनके लिए सेना में भर्ती जीवन का बड़ा सपना और नौकरी का महत्वपूर्ण ज़रिया होता है. सरकार ने अपनी घोषणा में दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति में अग्निवीरों को पैकेज दिए जाने की भी बात की
केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित कई राज्यों ने कहा है कि वे अपने बलों की भर्ती में ‘अग्निवीरों’ को वरीयता देंगे। इसके बावजूद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार सहित कई राज्यों में छात्र सड़क पर उतरे हैं और हिंसक प्रदर्शन किया है।
मुख्य बातें
- सेना को युवा रूप देने के लिए सरकार ने लॉन्च की है ‘अग्निपथ’ योजना
- ‘अग्निपथ’ योजना के जरिए युवा तीनों सेनाओं में चार साल तक सेवा देंगे
- छात्र इस योजना का विरोध कर रहे हैं, छात्रों का कहना है कि उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है
क्या है अग्निवीर योजना
सेना को पहले से ज्यादा आधुनिक रूप और युवाओं को मौका देने के लिए सरकार ने अपनी महात्वाकांक्षी ‘अग्निपथ’ योजना लॉन्च की है। इस योजना के तहत देश के युवाओं को थल सेना, वायु और नौसेना में चार साल तक सेवा देने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा। चार साल तक तीनों सेनाओं में सेवा देने वाले ये जवान ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे। सरकार का कहना है कि चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत जवानों को सेना में स्थायी नौकरी दी जाएगी जबकि 75 प्रतिशत जवानों को सरकार के विभिन्न विभागों एवं उपक्रमों की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। पढ़ने और कारोबार करने के इच्छुक ‘अग्निवीरों’ को सरकार सर्टिफिकेट एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराएगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित कई राज्यों ने कहा है कि वे अपने बलों की भर्ती में ‘अग्निवीरों’ को वरीयता देंगे। इसके बावजूद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार सहित कई राज्यों में छात्र सड़क पर उतरे हैं और हिंसक प्रदर्शन किया है
‘अग्निपथ योजना’ के तहत सिर्फ़ चार साल आर्मी में सेवा का मौका दिए जाने को लेकर युवाओं में भीषण गुस्सा देखा जा सकता है. बिहार के बाद राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी ‘अग्निवीर’ (Agniveer) के खिलाफ यह प्रदर्शन तेज होता जा रहा है.
क्या कहते हैं युवा अभ्यर्थी?
बिहार के जहानाबाद और छपरा समेत कई इलाकों में Protest हो रहे हैं. इन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है, ‘सेना में जाने के लिए हम जीतोड़ मेहनत करते हैं. ट्रेनिंग और छुट्टियों को मिला दें तो कोई सर्विस सिर्फ़ चार साल की कैसे हो सकती है? सिर्फ़ तीन साल की ट्रेनिंग लेकर हम देश की रक्षा कैसे करेंगे? सरकार को यह योजना वापस लेनी ही पड़ेगी?’
प्रदर्शन कर रहे युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है कि सिर्फ़ चार साल के लिए ही क्यों भर्ती की जा रही है. सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10 से 12 साल की सर्विस होती है और आंतरिक भर्तियों में उन सैनिकों को मौका भी मिल जाता है. ‘अग्निपथ योजना’ में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या यही है कि चार साल के बाद 75 पर्सेंट युवाओं को बाहर का रास्ता देखना ही पड़ेगा.
यह रहेगा अग्निवीरों के लिए स्पेशल पैकेज
क्या वास्तव में इन अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित है
सेना से रिटायर होने के बाद ऐसे ‘अग्निवीर’ जो कारोबार शुरू करना चाहेंगे उन्हें वित्तीय मदद दी जाएगी। उन्हें बैंक लोन भी मिलेगा। ऐसे ‘अग्निवीर’ जो आगे पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का सर्टिफिकेट एवं ब्रिजिंग कोर्स जाएगा। इन्हें सीएपीएफ एवं राज्यों की पुलिस की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। सरकार के अन्य उपक्रमों में भी इन्हें समायोजित किया जाएगा।
दरअसल इस योजना से सेना में युवाओं के लिए अवसर कम नहीं बल्कि बढ़ेंगे। आने वाले वर्षों में सेना में ‘अग्निवीरों’ की भर्ती मौजूदा समय से करीब तीन गुना बढ़ जाएगी
Facts
:-सेना में इस तरह की सीमित सेवा की व्यवस्था ज्यादातर देशों में है। इस व्यवस्था को पहले से ही परखा जा चुका है। बूढ़ी होती सेना एवं युवाओं के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था माना जाता है। पहले साल भर्ती होने वाले ‘अग्निवीरों’ की संख्या सशस्त्र सेनाओं की संख्या की मात्र 3 फीसदी होगी
:-दुनिया की ज्यादातर सेनाएं अपने युवा जवानों पर निर्भर हैं। सेना में युवा जवानों की संख्या अनुभवी सैनिकों से ज्यादा हो जाए, ऐसा कभी समय नहीं आएगा। इस योजना के तहत धीरे-धीरे ‘अग्निवीरों’ की संख्या बढ़ाई जाएगी वह भी अनुभवी सैनिकों की तादाद को देखते हुए
अधिकतर लोगों का यह भी सोचना है कि समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं अग्निवीर. आतंकवादी बन सकते हैं-
हमारी दृष्टि में ऐसी सोच भारतीय सेना के मूल्यों एवं परंपरा के खिलाफ है। एक बार सेना की वर्दी पहन चुके युवा हमेशा देश और समाज के प्रति वफादार रहेंगे। सशस्त्र सेनाओं से हर साल हजारो लोग रिटायर होते हैं, उनके पास कौशल होता है, वह देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हों, ऐसा एक भी मामला नहीं आया है।
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों की मांग बेहद स्पष्ट है. उनका कहना है कि इस योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए. लंबे समय से सेनाओं में भर्ती ने होने की वजह से परेशान छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द भर्ती की रैलियां आयोजित कराई जाएं और परीक्षाएं शुरू हों. इसके अलावा, पुरानी लटकी भर्तियों को भी जल्द से जल्द क्लियर करने की मांग की जा रही है
एक छात्र ने कहा कि सेनाओं में भर्ती के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाए जो पहले अपनाई जाती थी. प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘टूर ऑफ ड्यूटी जैसी योजनाओं को वापस लेना ही होगा, वरना चार साल तक कोई भी सेना की नौकरी करने नहीं जाएगा.’ प्रदर्शनकारी आर-पार के मूड में हैं और उनका प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है.
बिहार के मुंगेर, जहानाबाद, छपरा और तमाम जिलों में प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बुलंदशहर और बरेली में भी प्रदर्शन शुरू हो गया है. इसके अलावा, राजस्थान और हरियाणा के भी प्रतियोगी छात्र सड़कों पर उतर आए हैं.
विरोध के बाद सरकार ने बढ़ाई उम्र सीमा
विरोध प्रदर्शनों के बीच भारत सरकार ने 17 जून को ‘अग्निपथ’ स्कीम की आयु सीमा पहले साल के लिए 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी है.
राजनाथ सिंह ने कहा, “नौजवानों को सेना में सेवा का मौक़ा दिया जाएगा. ये योजना देश की सुरक्षा को मज़बूत करने और हमारे युवाओं को मिलिट्री सर्विस का अवसर देने के लिए लाई गई है.”
उन्होंने कहा कि इस योजना से नौकरी के मौक़े बढ़ेंगे और सेवा के दौरान अर्जित हुनर और अनुभव उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी भी उपलब्ध कराएगा
सरकार की मानें तो योजना का मक़सद युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना मज़बूत करना, भारतीय सेना के चेहरे को युवा शक्ल देना, युवाओं को भारतीय सेना में सेवा देने की आकांक्षा को पूरा करना है. योजना के आलोचक इसे एक ग़लत क़दम बता रहे हैं जो भारतीय सेना के परंपरागत स्वरूप से छेड़खानी कर रहा है और जिससे सैनिकों के हौसले पर असर पड़ सकता है.
विरोध में तर्क
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह के मुताबिक़ भारतीय सेना में किसी का चार साल के लिए शामिल होना बहुत कम समय है और अगर ये अच्छा आइडिया था तो इसे चरणों में लागू किया जाना चाहिए था. चिंता ये भी है कि इतने कम वक़्त में कोई युवा मिलिट्री ढांचे, स्वभाव से ख़ुद को कैसे जोड़ पाएगा.
वो कहते हैं, “चार साल में से छह महीने तो ट्रेनिंग में निकल जाएंगे. फिर वो व्यक्ति इन्फैंट्री, सिग्नल जैसे क्षेत्रों में जाएगा तो उसे विशेष ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी, जिसमें और वक़्त लगेगा. उपकरणों के इस्तेमाल से पहले आपको उसकी अच्छी जानकारी हासिल होनी चाहिए.”
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह की फ़िक्र है कि इतना वक़्त ट्रेनिंग आदि में गुज़र जाने के बाद कोई भी व्यक्ति सेवा में कितना आगे बढ़ पाएगा. वो कहते हैं, “वो व्यक्ति एयरफ़ोर्स में पायलट तो बनेगा नहीं. वो ग्राउंड्समैन या मेकैनिक बनेग. वो वर्कशॉप में जाएगा. चार साल में वो क्या सीख पाएगा? कोई उसे हवाई जहाज़ हाथ नहीं लगाने देगा. अगर आपको इन्फ़ैंट्री में उपकरणों की देखभाल नहीं करनी आती तो वहां आप काम नहीं कर पाएंगे.”
“अगर आप युद्ध में किसी अनुभवी सैनिक के साथ जाते हैं तो उसकी मौत पर क्या चार साल की ट्रेनिंग लिया हुआ व्यक्ति उसकी जगह ले पाएगा? ये काम ऐसे नहीं होते. इससे सुरक्षा बलों की कुशलता पर असर पड़ता है.”
पक्ष में तर्क
रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना के मुताबिक़ सरकार के इस क़दम से भारतीय सेना की प्रोफ़ाइल छह साल कम हो जाएगी, जिससे उसे फ़ायदा होगा.
वो कहते हैं, “अगर आप लोगों को आईटीआई से लेते हैं तो वो तकनीकी रूप से अच्छे होंगे. पुराने लोगों को तकनीकी तौर पर सशक्त करना मुश्किल होता है. ये पीढ़ी तकनीकी मामले में ज़्यादा सक्षम है.” रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना के मुताबिक इस योजना से सेना को ये आज़ादी होगी कि सबसे बेहतरीन 25 प्रतिशत सैनिकों को रखे और बाकी को जाने दे.
वो कहते हैं, “अभी हमारा सिस्टम है कि अगर कोई जवान भर्ती हो गया और उसके बारे में लगा कि वो ठीक नहीं है तो जब तक उसके खिलाफ़ अनुशासन या अक्षमता का केस न चलाया जाए उसे नहीं निकाला जा सकता.”
इसी बहस के बीच सरकारी घोषणा आई है कि चार साल पूरा करने के बाद अग्निवीरों को असम राइफ़ल और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज़ में प्राथमिकता दी जाएगी.
IPI Review
इनसाइड प्रेस इंडिया के विश्लेषकों के मुताबिक यह योजना भारतीय सशस्त्र बलों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकती है. इस तरह की ट्रेनिंग देने से भारतीय सेना की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी और देश के युवा भी अपनी फौज की कार्यवाही से प्रेरित होंगे. दुनिया के कई देशों में पहले से ही एक अथवा 2 सालों के लिए सेना की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है. ऐसे में भारत में इस तरह का कोई प्रोग्राम अभी तक नहीं था. हालांकि भारत सरकार ने इसे अनिवार्य नहीं किया है.
अग्निवीरों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने अच्छा पैकेज प्रदान किया है. और इस योजना के क्रियान्वयन के साथ ही हो सकता है कि भारत सरकार आगे इसके ढांचे में कुछ और महत्वपूर्ण और सकारात्मक परिवर्तन कर दे.
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क्या है भारत सरकार की अग्निपथ स्कीम
इस योजना के तहत देश के युवाओं को थल सेना, वायु और नौसेना में चार साल तक सेवा देने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा। चार साल तक तीनों सेनाओं में सेवा देने वाले ये जवान ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे। सरकार का कहना है कि चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत जवानों को सेना में स्थायी नौकरी दी जाएगी जबकि 75 प्रतिशत जवानों को सरकार के विभिन्न विभागों एवं उपक्रमों की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। पढ़ने और कारोबार करने के इच्छुक ‘अग्निवीरों’ को सरकार सर्टिफिकेट एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराएगी।
अग्निपथ स्कीम के लिए क्या है न्यूनतम आयु सीमा
विरोध प्रदर्शनों के बीच भारत सरकार ने 17 जून को ‘अग्निपथ’ स्कीम की आयु सीमा पहले साल के लिए 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी है
क्यों हो रहा है अग्निपथ योजना का विरोध
अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों की मांग बेहद स्पष्ट है. उनका कहना है कि इस योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए. लंबे समय से सेनाओं में भर्ती ने होने की वजह से परेशान छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द भर्ती की रैलियां आयोजित कराई जाएं और परीक्षाएं शुरू हों. इसके अलावा, पुरानी लटकी भर्तियों को भी जल्द से जल्द क्लियर करने की मांग की जा रही है