जैसा कि आप जानते हैं कि एक्टर रणवीर सिंह हमेशा अपने अजीबोगरीब कारनामों और अपने पहनावे के कारण हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं पर हाल ही में आई उनकी एक फोटो चर्चा का विषय बनी हुई है यह फोटो ना केवल अपने पहनावे की वजह से प्रचलित हुई बल्कि इस बार कुछ ना पहनते हुए अंतरंग फोटो के लिए प्रचलित हो रही है जिसकी वजह से मीडिया और लोगों ने रणवीर सिंह पर अश्लीलता का मामला दर्ज करवाया है|
दरअसल बात यह है कि अनेकों हिंदी फिल्मों में काम करने वाले रणवीर सिंह ने कुछ समय पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ आपत्तिजनक न्यूड फोटो जो किसी अमेरिकी मैगजीन के लिए खींची गई थी को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और मीडिया और लोगों ने इस अभद्र कार्य के लिए उन पर ढेरों प्रतिक्रियाएं दी है|
सूत्रों की माने तो कुछ जगह से यह भी खबर मिली है कि लोगों ने इन तस्वीरों को आपत्तिजनक मानते हुए अभिनेता रणवीर सिंह पर मुंबई के चेंबूर में शिकायत दर्ज करवाई है शिकायत करता हूं में एक व्यक्ति एनजीओ से शामिल और वही एक महिला सदस्य भी है|
मीडिया और शिकायतकर्ताओं के वकील अखिलेश चौबे के अनुसार रणवीर सिंह की न्यूड तस्वीरों को ज़ूम करने पर उनके ‘प्राइवेट पार्ट दिख रहे थे’. इससे ‘महिलाओं की भावनाएं’ आहत हुई और उनकी गरिमा को ठेस पहुँची है, और इस तरह किया जाना अनुचित है|
हालांकि इस तरह की फोटो शूट बहुत सी एक्ट्रेस भी करवा चुकी है बॉलीवुड सितारों पर इस तरह के मामले कोई नई बात नहीं है. मॉडलिंग की दुनिया से आए मिलिंद सोमन और पूनम पांडे जैसे कलाकार भी इस तरह के मुकदमे झेल चुके हैं.
न्यूड फ़ोटोग्राफ़ी कुछ लोगों के लिए कला को रचनात्मक ढंग से परोसने का तरीका है तो दूसरा धड़ा इसे अश्लीलता मानता है. इसलिए समय-समय पर ये विषय बहस का मुद्दा बनता रहा है, और इसकी शिकायत दर्ज होती रही है|
मगर कोई काम या सामग्री अश्लीलता के दायरे में कब आ जाती है? और भारत में इसको लेकर कानून क्या कहता है? आइए हम इसके बारे में आपको आज विस्तृत बताते हैं..
क्या है पूरा मामला:-
हमेशा सुर्खियों में रहने वाले अभिनेता रणवीर सिंह ने अमेरिकी पत्रिका ‘पेपर’ के कवर के लिए कराए न्यूड फ़ोटोशूट की कुछ तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर की. इंस्टाग्राम पर उनके चार करोड़ से अधिक फॉलोअर्स हैं.
इस न्यूड फोटो वाली रणवीर सिंह की पोस्ट को करीब साढ़े 22 लाख लोगों ने इंस्टाग्राम पर पसंद किया है लेकिन इसने कुछ लोगों को असहज भी कर दिया. शिकायत के बाद मुंबई में रणवीर के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292, 293 और 509 के साथ आईटी एक्ट की धारा 67 (ए) के तहत केस दर्ज किया गया है|
इस विवाद पर तर्क देते हुए प्राथमिकी में कहा गया है, भारत की एक ‘अच्छी संस्कृति’ है और ऐसी तस्वीरों की वजह से लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं
इंसाइड प्रेस इंडिया की जानकारी के अनुसार शिकायकर्ता के वकील ने दलील दी कि संभव है कि रणवीर की तस्वीरें 40 से 45 साल के लोगों को अश्लील न लगे लेकिन ये 20 साल के युवक-युवतियों के लिए अश्लील है.
आईपीसी में क्या है प्रावधान?
भारतीय संविधान में क़ानूनी नज़रिये से अश्लीलता एक अपराध है और इसके लिए सज़ा का प्रावधान है.
आईपीसी की धारा 292, 293 और 294 अश्लीलता से जुड़े मामलों के लिए है, लेकिन इनमें ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि अश्लीलता आखिर है क्या…
बहुत से वकीलों के विचार सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड राहुल शर्मा के अनुसार धारा 292 ये बताती है कि किसी रचना या सामग्री को कब अश्लील कहा जा सकता है.
इसके अनुसार अगर कोई शख्स ऐसी अभद्र सामग्री, किताब या अन्य आपत्तिजनक सामान बेचे अथवा उसे सर्कुलेट करे जो दूसरों को नैतिक रूप से परेशानी या तकलीफ़ देती हो तो दोषी पाए जाने पर उसे दो साल की सज़ा और दो हज़ार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. अगर कोई शख्स दूसरी बार ऐसे मामले में दोषी पाया जाता है तो सज़ा बढ़कर 5 साल तक हो सकती है.
अभिनेता रणवीर सिंह के ऊपर आईपीसी की जो धारा 293 लगाई गई है उसके तहत अश्लील सामग्री 20 साल से कम के युवक-युवतियों को बेचने या सर्कुलेट करने पर 3 साल से 7 साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
आईपीसी की धारा 294 के तहत सार्वजनिक स्थलों पर अश्लील कृत्य करने वालों के लिए सज़ा का प्रावधान है. हालाँकि, रणवीर सिंह पर दर्ज एफ़आईआर में इस धारा का ज़िक्र नहीं है.
कानूनी दाँव पेच के हिसाब से रणवीर पर दर्ज दो अन्य धाराओं में से एक धारा 509 के तहत महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाने के मकसद से किया गया कोई काम, कहे गए शब्द या फिर हावभाव आते हैं. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सज़ा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं.
जिस तरह से यह फोटो मीडिया मे घूम रही है उसकी वजह से अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक तरीके यानी सोशल मीडिया आदि के माध्यम से प्रकाशित और प्रसारित करने पर आईटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत अधिकतम 5 साल की सजा और 5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है. दोबारा या कई बार ऐसे अपराध करने पर 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. यहाँ जानना ज़रूरी है कि ये गैर-ज़मानती धारा है.
इतना सब होने के बाद भी गैर-ज़मानती धारा के बावजूद रणवीर सिंह की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई?
लोगो और मीडिया के इस सवाल पर सर्वोच्च न्यायालय के वकील और सायबर कानून के जानकार विराग गुप्ता कहते हैं, “अगर किसी एफ़आईआर में गैर-ज़मानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है तो भी अभियुक्त की गिरफ़्तारी ज़रूरी नहीं है. कानून और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार यदि अभियुक्त जाँच में सहयोग नहीं कर रहा हो, सबूतों के साथ खिलवाड़ होने की आशंका हो या फिर हिरासत में पूछताछ ज़रूरी हो, तभी पुलिस को गिरफ़्तारी करनी चाहिए.”
अब यहाँ सवाल उठता है कि आईपीसी में अश्लीलता की परिभाषा नहीं है तो फिर ये कैसे तय होता है कि कौन सी सामग्री अश्लील है और कौन नही?
इस बात जवाब सुनकर आपकों हैरानी होंगी कि इसके लिए भारतीय अदालतें अब तक अंग्रेज़ी कानून का सहारा लेती आई हैं.
अदालतों में कैसे हुए फैसले?
प्राप्त जानकारों के मुताबिक, साल 2014 तक अदालतों में जजों ने ‘हिक्लिन टेस्ट’ के ज़रिए ये तय किया कि कोई सामग्री अश्लील है या नहीं. इस टेस्ट नाम इंग्लैंड में 1868 में आए एक मामले के आधार पर पड़ा था.
अवीक सरकार तथा पश्चिम बंगाल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिक्लिन टेस्ट को दरकिनार करते हुए इसे अमेरिका में प्रचलित रौथ टेस्ट की कसौटी पर परखा. इसके तहत माना जाता है कि नग्नता को संवेदनशील लोगों के किसी समूह की बजाय तात्कालिक सामाजिक मानकों को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य व्यक्ति के नज़रिए से मापा जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील राहुल शर्मा कहते हैं, “”हिक्लिन टेस्ट के अंतर्गत देखा जाता है कि क्या कोई अश्लील सामग्री किसी व्यक्ति को अनैतिक रूप से प्रभावित कर रही है. इस परीक्षण की एक बड़ी कमी ये थी कि ये उस सामग्री को भी अश्लील मानता था, जिसने भले ही किसी कमज़ोर मानसिकता वाले को ही प्रभावित क्यों न किया हो.”
“हालांकि , नैतिकता समय और समाज के साथ बदलती रहने वाली अवधारणा है, इसलिए सामाजिक मानक परीक्षण अभियव्यक्ति की आज़ादी और मर्यादा तथा नैतिकता के अंकुश के बीच एक संतुलन बैठाता है.”
एक पुराना मामला टेनिस के महान खिलाड़ी रहे बोरिस बेकर की उनकी मंगेतर के साथ न्यूड तस्वीर से जुड़ा था. तस्वीर मूल रूप से एक जर्मन पत्रिका में छपी थी लेकिन इसे भारत में स्पोर्ट्सवर्ल्ड मैगज़ीन और आनंद बाज़ार पत्रिका अख़बार ने भी छापा था.
एक समाचार पत्र आनंद बाज़ार पत्रिका समूह से जुड़े इस मामले की सुनवाई करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि तस्वीर त्वचा से गोरे पुरुष और काली महिला के बीच प्यार को दिखा रही है. तस्वीर का संदेश है कि त्वचा का रंग नहीं बल्कि प्यार मायने रखता है.
क्या रणवीर सिंह को सजा होगी?
न्यूड फोटो वाले इस विवाद पर रणवीर सिंह को इस मामले में सज़ा हो सकती है या नहीं इस सवाल पर वकील विराग गुप्ता का मानना है, “ऐसे मामले लग्ज़री लिटिगेशन की कैटेगरी में आते हैं. हेडलाइन बनने से शिकायतकर्ता और सेलेब्रिटी सभी को पब्लिसिटी मिल जाती है. शुरुआती दौर में अदालत से राहत मिलने के बाद मुकदमे का आखिरी फैसला आने में अच्छा-खासा वक्त बीत जाता है. इस प्रक्रिया को ही दण्ड माना जाता है. सामान्यतः ऐसे मामलों में लोगों को सज़ा नहीं होती.”
आज के इस आर्टिकल मे इतना ही, आशा ह आपको हमारी यह जानकारी से संतुष्ट हुए होंगे और आपकों इस और कुछ नयी जानकारी मिली होंगी, इसी तरह अपनी जानकारी को बढ़ाने के लिए आपको हमसे(insidepressindia) से जुड़े रहे तथा और भी लोगो को हमसे जोड़ने का प्रयास करे |
धन्यवाद ||
Woah! Looks like a very clear and detailed Article. I was looking for a content like this since a very long time.
I will recommend other people to read your Articles on a daily basis, looks very informative and genuine.
Keep Going, waiting for more such informative Articles. I didn’t knew this whole topic was this big to be studied properly.