बेल्जियम सरकार ने यह फैसला क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस के गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल और स्कैम्स के रिस्क को कम करने के लिए लिया है.
- बेल्जियम में क्रिप्टो सेगमेंट का एक बड़ा हिस्सा अभी तक वहां की सरकार ने रेगुलेट नहीं किया है.
- यह नया रूल मौजूदा ऐसेट फर्मो पर भी लागू होगा
- क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने की तैयारी वर्तमान में बहुत से देश कर रहे हैं जिनमें भारत भी एक है.
- भारत क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय देशों से मिलजुल कर फैसला लेने के लिए आह्वान कर चुका है.
क्रिप्टो करेंसी पर एक और देश में लगाम लगाने की तैयारी कर ली है. बेल्जियम की सरकार ने सभी वर्चुअल एसेट फर्म के लिए अपनी पहचान बताना अनिवार्य कर दिया है. बेल्जियम की फाइनेंशियल सर्विसेज एंड मार्केट अथॉरिटी (FSMA) मैं क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी सभी फर्मों को रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया है. माना जा रहा है कि इससे क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस के गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल और स्कैम के रिस्क को कम किया जा सकेगा. बहुत से देश क्रिप्टोकरंसी को पहले से ही लगाम लगाने अथवा रेगुलेट करने की तैयारी में है इसी कड़ी में बेल्जियम की सरकार ने यह फैसला लिया है.
FSMA द्वारा जारी किए गए स्टेटमेंट में बताया गया कि ” मई की शुरुआत से बेल्जियम में वर्चुअल करेंसी से जुड़ी एक्सचेंज सर्विसेज या कस्टडी वॉलेट सर्विसेज उपलब्ध कराने के लिए FSMA के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा” , और यह रूल सभी मौजूदा फर्मों पर भी लागू होगा. बेल्जियम देश की जनसंख्या लगभग 1.2 crore है. अगर क्रिप्टोकरंसी पर लगने वाले टैक्स की बात की जाए तो बेल्जियम में ‘स्पेशल टैक्स इंस्पेक्टरेट ‘ (STI) सभी क्रिप्टो करेंसी की बिक्री से मिलने वाले मुनाफे को ‘ मिसलेनियस इनकम ‘ की केटेगरी में रखता है. अन्य देशों की तरह है बेल्जियम में भी क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष बेल्जियम में लगभग 2.80 लाख लोगों के पास क्रिप्टोकरंसी थी.
इसके अलावा इस वर्ष की शुरुआत में बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के निवासी Chridtophe De Beukelaer अपनी सैलरी को Bitcoin में कन्वर्ट करने वाले यूरोप के पहले राजनेता बने थे.
लेकिन अभी तक बेल्जियम क्रिप्टो सेगमेंट का एक बड़ा हिस्सा रेगुलेट नहीं है और बेल्जियम में इस पर कानून बनाने का कार्य किया जा रहा है. बेल्जियम की सरकार ने चेतावनी दी है कि अभी तक वर्चुअल करेंसी को वहां कानूनी दर्जा नहीं दिया गया है.
आपको बता दें कि भारत में भी अभी तक क्रिप्टोकरंसी को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गई है. भारत में वर्तमान में क्रिप्टोकरंसी पर 30% टैक्स का प्रावधान है.
विश्व के बहुत सारे देश जैसे संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, क्यूबा और सिंगापुर आदि क्रिप्टो करेंसी से जुड़े इन्वेस्टर्स की सुरक्षा के लिए उपाय कर रहे हैं.
भारत में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने और इसे बैन करने पर हमेशा से ही विवाद चलता रहा है.
भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, क्रिप्टो करेंसी को बैन करने के पक्ष में नजर आता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास और पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी खुलकर क्रिप्टो करेंसी की आलोचना की है.
अगर क्रिप्टो इंडस्ट्री के लीडर्स की बात की जाए तो वह क्रिप्टो को बिना टैक्स के रेगुलेट करने के पक्ष में दलील देते नजर आते हैं.
यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह से भारत सरकार और दुनिया भर की सरकारें क्रिप्टोकरंसी को बैन या रेगुलेट करती हैं.